जम्मू-कश्मीर - अनु. 370 और 35A

जम्मू और कश्मीर
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      सरकार द्वारा अनु. 370 और 35A को हटाना राष्ट्रीय आपदा से ज्यादा और कुछ भी नहीं है। जिस प्रकार से संविधान और लोकतंत्र की हत्या की गई है तथा इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने की कोशिश की गई, इसे राष्ट्रीय आपदा कहने के अलावा मेरे पास कोई दूसरा शब्द नहीं है। जिस आवाम की जनता के भाग्य का फैसला किया जाना है, उसे इसकी खबर तक नहीं है। और तो और वहां के नेताओं से विचार-विमर्श करने की बजाय घर में ही नजरबंद कर दिया गया तथा बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। शायद भारत की सरकार यह भूल गई है कि यह वही जनता जिसने एक मुसलमान होने के बावजूद मुस्लिम देश पाकिस्तान की तरफदारी करने की बजाय भारत की तरफदारी की। भारत के साथ रहना पसंद किया। भारतीय संविधान में अपनी आस्था व्यक्त की। कश्मीरी जवान भारतीय जवानों के साथ मिलकर पाकिस्तान से कई लड़ाइयां लड़ी। हमेशा खुफिया सूचनाएं भारतीय जवानों तक पहुँचाने का काम किया।आज उसी आवाम की पीठ पर खंजर मारने का काम सरकार ने किया। जिन कश्मीरी समस्याओं को सदा के लिए खत्म करने के लिए यह कदम सरकार की ओर उठाया गया है, वास्तव में इसने उन समस्याओं स्थायी बना दिया। कश्मीरी आवाम का भारत के प्रति जो आदरभाव व सम्मान था, सरकार का यह कदम उसे घटाने काम करेगा। भारत और कश्मीर के बीच की जो खाई धीरे-धीरे भर रही थी, यह उसे और अधिक गहराने काम करेगा। आखिर इतनी भी क्या जल्दी थी कि इतने बड़े संवेदनशील मुद्दे पर व्यापक तरीके से विचार करने की बजाय इसे 24 घंटे के भीतर कानूनी रूप दे दिया गया? यहां तक कि विपक्ष को भी विश्वास में नहीं लिया गया। यही नहीं, भारतीय मीडिया भी जिसे मैं अक्सर सरकार का रखैल कहता हूँ, ने सरकार के इस अविवेकपूर्ण कार्य को सही ठहराने की कोशिश करती रही। आखिर जो भी हो, लेकिन इसे किसी भी तरीके से जायज नहीं ठहराया जा सकता है।
         कश्मीर का विभाजन बहुत कुछ बंगाल विभाजन की याद दिलाता है। इसी प्रकार लार्ड डलहौजी ने अवध पर कुशासन का आरोप लगाकर उसका अधिग्रहण कर लिया था। ठीक उसी प्रकार मोदी-शाह ने भी जम्मू-कश्मीर को कुशासन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद के नाम पर उसकी स्वायत्ता को छिन लिया बिना यह जाने की कि जनता का हित किसमें में है? भारत की प्राथमिकता कश्मीरी आवाम का दिल जीतने की बजाय उसकी भूमि पर कब्जा करना तथा वहां हिन्दुओं को बसाना ज्यादा प्राथमिकता रखता है। इसमें कोई शक नहीं है कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति भी फिलीस्तीन वाली हो जाएगी, कभी न खत्म होने वाली समस्या।

टिप्पणियाँ

हत्या कहूं या मृत्यु कहूं

हां साहब ! ये जिंदगी

ऐलै-ऐलै हो चुनाव क दिनमा

अलविदा 2019 !