जिंदगी
जिंदगी 18/07/2017 ========== मैं खुशी की तलाश में निकला था लेकर गम आ गया हूँ चलो, कुछ भी तो मिला दुनिया से, जो था उसके पास, उसने मुझे दिया चलो, उसी गमों के सहारे जी जाए जिंदगी। क्या-क्या सपने नहीं देखें थे मैंने सबको टूटते हुए देख रहा हूँ चलो, अच्छा हुआ ! उससे भी कुछ सिख मिल जाए मुझे। जिंदगी की किताबों में कई पन्ने ऐसे हैं जहाँ, सिर्फ पीड़ा-ही-पीड़ा है चलो, आज उस पन्ने को भी पलट कर पढ़ ही लिया मैंने। पीड़ा भी जिंदगी जीना सिखाती है अपने और पराएपन अहसास कराती है चलो, आज उस अहसास को भी महसूस कर लिया मैंने। पीड़ाएँ आती हैं आएं उससे मुझे कोई कुरेद नहीं चलो, ऐ जिंदगी उसे भी खुशी-खुशी अपनाएँ। प्रियदर्शन कुमार