अलविदा 2019 !

काव्य संख्या - 220
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अलविदा 2019 !
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2019 !
तुमने तो इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया
लेकिन, उनके लिए क्या किया?
उनके लिए क्या छोड़ा?
कभी न मिटने वाला एक अंधेरा,
जिन्होंने अंधकार से लड़कर
मध्य रात्रि को रौशनी से सराबोर कर दिया
तुम्हारे स्वागत के लिए बाहें फैलाए खड़ा रहा।
न जाति, न धर्म, न भाषा
बिना किसी भेदभाव के
सभी ने, एक साथ मिलकर,
एक स्वर में स्वागत के गीत गाए।
लेकिन, तुम्हारा क्या
तुम स्वार्थी जो निकले
हमारी सरकार की तरह,
वोट सबका लिया
कल्यान अपने लोगों का किया।
तुम आरोपी हो,
करोड़ों लोगों के
इस देश पर पड़ने वाली
तुम काली छाया की तरह हो
तुम्हारा चला जाना ही अच्छा है
अलविदा 2019 !
  प्रियदर्शन कुमार

टिप्पणियाँ

हत्या कहूं या मृत्यु कहूं

हां साहब ! ये जिंदगी

ऐलै-ऐलै हो चुनाव क दिनमा