हालात

हालात(01/07/2017)
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एक लड़का 
जो रोज की तरह सुबह उठता है
अपना नित्य कर्म करता है
उसकी मां उसके लिए खाना बनाती है
लड़का विद्यालय जाने के लिए तैयार हो जाता है
मां उसे खाना खिलाती है और
हाफटाइम में लंच करने के लिए भी 
उसके थैले में लंचबॉक्स रख देती है
लड़का विद्यालय जाते समय 
मां को प्रणाम करता है
मां उसके मुख चुमती है
और उसके सर पर हाथ फेरती
उसके होंठों पर मुस्कान है
और अंदर डरी हुई है
लड़का चला जाता है
मां बेटे के आने इंतजार करने लगती है
उसका मन बेचैन होने लगता है
रोती है चुप होती है और
खुद को समझाती है
कोई नहीं , सब कुछ अच्छा होगा
मेरा बेटा विद्यालय से छूटते ही
मेरे पास आ जाएगा।
जैसे ही अपने बच्चे को आते देखती है मां
मानो उसे एक नई जिंदगी मिल गई हो
उसके आंखों से खुशी के आंसू
निकलने लगते हैं
मां बेटे को गले लगाती 
फिर उसके मुख को चुमने लगती है
अपने आंचल में उसे छुपा लेती है
मानो; जैसे मां से उसके बच्चे को 
कोई अलग कर रहा हो
हर बार उसे लगता है
मैं अपने बच्चे अंतिम बार मिल रही हूँ
बेटा पूछता है अपनी मां से
मां ! तुम रो क्यों रही हो 
मैं हमेशा की तरह समय पर
विद्यालय से आ ही तो जाता हूँ
पर , उस बेटे को क्या पता
कि शहर की हवा कितनी गर्म है
उस लड़के को क्या पता कि
समाज मे जाति और धर्म
के नाम पर कैसा नंगा नाच हो रहा है।
                          प्रियदर्शन कुमार

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