कब तक रोक पाओगे तुम

बगावत को कब तक रोक पाओगे तुम,
चिंगारियों को आग में बदलने से,
कब तक रोक पाओगे तुम,
अपने-आपको जलने से,
कब तक रोक पाओगे तुम,
इतनी-सी बातें समझ में नहीं आती तुम्हें,
मेरे मकान के बगल में तुम्हारा भी मकान है,
जब मेरे मकान जलेंगे ,
अपने मकान को जलने से,
कब तक रोक पाओगे तुम।
            प्रियदर्शन कुमार

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