जनता
तुम्हारे हर काम का मैं क्यों सराहना करूं,
ग़लत को ग़लत नहीं, तो और क्या कहूं।
तुम्हें चुना है हमने,
फिर अपने सवाल किससे करूं।
तुम्हारे हर काम का मैं क्यों सराहना करूं,
ग़लत को ग़लत नहीं, तो और क्या कहूं।
तुम्हें चुना है हमने,
फिर अपने सवाल किससे करूं।
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