जनवादी

जनवादी (25/04/2017)
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मैं हूँ जनवादी
जन-मन में है मेरी आस्था।

जब भी मैं देखता हूँ
भूख से बिलखते बालक को
द्रवित हो उठती है मेरी अंतर्आत्मा
नहीं समर्थक मैं किसी पार्टी विशेष का
समर्थक हूँ मैं हर उसका
जो गरीबोँ की थाली भोजन परोसता
नहीं परोसता केवल विचार।

नहीं चहता मैं केवल योजनायें
मैं चाहता हूँ अंतिम व्यक्ति के होंठों पर मुस्कान
नहीं चाहता मैं अट्टालिका बुल्लेट ट्रेन
मैं केवल चाहता हूँ गरीबों को मिले छत।

मत भरमाओं जनता को
जाति-धरम-मजहब के नाम पर
मत छिनों उनका अमन-चैन
तुम दे दो केवल उसका हक।

अगर नहीं तुम देतें उसका हक
एक बार फिर उठगी क्रान्ति की लहर
जो तुम्हें कर देगा समूल नष्ट
धरे-के-धरे रह जाएगें तुम्हारे शासन-तंत्र
मत लो तुम गरीबों के धैर्य की परीक्षा
तुम लौटा दो इसका हक
मैं हूँ जनवादी
जन-मन में है मेरी आस्था।
              प्रियदर्शन कुमार

टिप्पणियाँ

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हां साहब ! ये जिंदगी

ऐलै-ऐलै हो चुनाव क दिनमा

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