आधुनिकता

आधुनिकता (07/04/2017)
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आधुनिकता के नाम पर
देश में नंगा नाच हो रहा।

हमारी सभ्यता और संस्कृति
का जो निरंतर नाश कर रहा।

पश्चिम के प्रभाव ने हमें
अपने आगोश में ले लिया।

अपने सारे सद्गुणों को छोड़कर
हमने अवगुणों को अपना लिया।

हमारा वेशभूषा सब बदल गया
और हम इंगलिश्तानी बन गए।

हम अपने तन ढकने की बजाय
हम जिस्म दिखाने में लग गए।

ऐसा लग रहा है जैसे फिर
हम आदिकाल में पहुंच गए।

इज्ज़त-शोहरत हासिल करने के चक्कर में
हम अपनी मान-मर्यादाओं को भूल गए।

हम कहां थे कहां पहुंच गए
इसका हमें पता भी न चला।

कब हमारी संवेदना मर गई
इसका हमें भान भी न रहा।

मूल्य-मर्यादा-नैतिकता जैसे
शब्दों से हम अपरिचित हो गए।

ऐसे नक्काल कसे कि
हम नक्काली बन गए।
        प्रियदर्शन कुमार

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