मौसम की तरह बदलते हैं लोग यहां

काव्य संख्या-187
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मौसम की तरह
बदलते हैं लोग यहां
(10/07/2018)
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मौसम की तरह 
बदलते हैं लोग यहां 
ऐ साहब !
अगर मैं हँसता हूँ तो 
सभी मेरे साथ हँसते हैं 
और जब मैं रोता हूँ तो 
केवल मैं ही रोता हूँ 
साथ छोड़ जाते हैं लोग 
हालात से खुद लड़ते हैं 
अपने हाल पर जीते हैं 
लोग तमाशबीन बन जाते 
बेगानों की तरह व्यवहार करते 
अपनी निगाहें फेर लेते 
शायद यही जिंदगी है 
जिंदगी का मतलब यही है 
किसे अपना कहे 
किसे कहे बेगाना 
मतलबी लोग हैं यहां के
मतलबों से घिरा यह जमाना है 
मतलब से जुड़ा रिश्ता है 
मतलब खत्म होने पर 
खत्म होते हैं रिश्ते सारे 
अजीब जमाना आ गया है 
ऐ साहब !
मौसम की तरह
बदलते हैं लोग यहां।
    प्रियदर्शन कुमार

टिप्पणियाँ

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ऐलै-ऐलै हो चुनाव क दिनमा

अलविदा 2019 !