सावन
सावन
(10/07/2018)
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चलो सखी ,
सावन आ गया
सावन की पहली बारिश में
हम भींगे और प्रकृति के
साथ एकाकार हो जाए
नहीं सखी ,
यह बारिश मेरे तन के
ताप को घटाने की बजाय
उसे और बढ़ाएगा ही
मेरे प्रियतम की अनुपस्थिति
में सावन की पहली बारिश का होना
मानो वह मुझे चिढ़ा रहा हो
मेरे जख्मों पर मरहम लगाने की
मानो वह उसे और कुरेद रहा हो
हरी-भरी घास हरे-भरे पेड़-पौधे
नाचते हुए मोर कहकहा करते कोयल
उफनती हुई नदियाँ
मानो प्रकृति ने सोलह श्रृंगार कर लिया हो
औरे मुझे जला रही हो
प्रकृति का यह मनोरम दृश्य
मुझे पिछले सावन की पहली बारिश
की याद दिलाती है जब
मेरा प्रियतम मेरे साथ था
दोनों बारिश में भींगते
अठखेलियाँ करते
आह ! वे भी क्या थे।
प्रियदर्शन कुमार
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