मां

मां (04/07/2017)
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मां !
मैं हर बार तुम्हें 
परिभाषित करने की कोशिश करता हूँ
हर बार मेरे शब्द कम पर जाते हैं
शब्दकोश भी असमर्थ हो जाता है
बताओं तुम्हें कैसे परिभाषित करूँ
तुम्हारे लिए शब्द कहां से लाउं
सारा ब्रह्माण्ड तुम्हारे सामने
नतमस्तक हो जाता है
सबसे उपर तुम्हीं-तुम हो
तुम्हारा न कोई आदि है 
और न अंत है
सबकुछ तुम्हीं से शुरू होता है
और तुम्हीं पर जाकर अंत हो जाता है
तुम्हारे बिना सृष्टि की कल्पना
अधूरी है
तुम्हीं स्रष्टा हो
तुम्हीं ममता की देवी हो
तुम्हीं त्याग हो
तपस्या हो
बलिदान हो
तुम्हीं मेरी शक्ति हो
तुम्हीं  मेरा सामर्थ्य हो
तुमसे बाहर न तो कुछ है
और न ही हो सकता है।
          प्रियदर्शन कुमार

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