मेरे देश के लोग

मेरे देश के लोग
(06/07/2017)
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लोगों, 
मेरे देश के लोगों
कब तक तमाशबीन
बने रहोगे
कब तक सहते रहोगे अन्याय
अन्याय करना जितना बड़ा गुनाह
उतना-ही बड़ा गुनाह
अन्याय सहना भी है
भीड़ का हिस्सा मत बनो
आवाज़ उठाओ
उस असामाजिक तत्वों के खिलाफ
जो समाज में 
साम्प्रदायिकता के बीज बो रहे हैं
दो समूहों को आपस में लड़वा रहे हैं
उस जड़ को काट डालों
जहां से यह जन्म लेता है
वक्त आ गया है कि
अब हम अपनी आवाजें बुलंद करें
मत आओ इनके बहकावे में
मत आंच आने दो
अपने भाईचारे पर
अपनी अंतर्आत्मा की आवाज़ सुनों
मत सुनों आतताइयों की बातें।
                  प्रियदर्शन कुमार

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