सुनो कवि

सुनो कवि
07/07/2017
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सुनो कवि !
चाहे तुम जो लिखो
लेकिन ऐसा कुछ मत लिखो
जिससे लोगों की भावनाएं
आहत हों
भावनाएं आजकल बहुत ही
संवेदनशील हो गई हैं
छोटी-छोटी बातों पर
ये आहत हो जाती हैं
हो सकता है कि
तुम भी कभी 
भावनाओं को आहत 
करने के जुर्म में
भावनात्मक रूप से
आहत भीड़तंत्र द्वारा
बीच सड़क पर 
कुचल कर मार दिए जाओगे
या फिर भावनाओं के आहत 
करने के आरोप जेल जाना
पड़ सकता है
कोई इसके विरोध में
आवाज़ तक नहीं उठाएगा
चाहे वह मीडिया हो
नेता हो सिविल सोसाइटी हो
या फिर सरकार हो
सुनो कवि !
मैंने एक बार फिर तुम्हें
अगाह कर दिया कि
ऐसा कुछ मत लिखो जिससे
लोगों की भावनाएं आहत हों।
                  प्रियदर्शन कुमार

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