बचपन कितना मनमोहक है

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बचपन कितना मनमोहक है
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देखो बचपन कितना अच्छा है
कितना खुश यह बच्चा है
न पढ़ाई-लिखाई की चिंता
न मम्मी-पापा के डांट की
बिल्कुल निर्भीक
न किसी प्रकार की जिम्मेदारी है
न किसी भी चीज की चिंता
न सामाजिक बंधन है
न किसी प्रकार का विरोध
न दुनिया-दारी की चिंता है
न पारिवारिक माया-मोह
हँसता-खेलता बच्चा है
अपने एक मुस्कान से
सबका दिल जीत लेता है
स्वच्छ निर्मल मन
बिल्कुल कोरा कागज
छल-कपट के लिए जगह नहीं
न इसे जाति का भान है
न ही किसी मजहब का ज्ञान
ऊंच-नीच मालूम नहीं उसे
नहीं मालूम है उसे अमीरी-गरीबी
यह तो केवल बच्चा है
जो केवल वात्सल्य का भूखा है
जहां मिलता है प्यार उसे
उसी के पास चला जाता है
कौन है अपना,
और कौन पराया
नहीं है उसे पहचान
परिवार-समाज सबका चहेता है
सबके यहाँ आता-जाता है
सबका स्नेह पाता है
सच में,
बचपन कितना मनमोहक है।
               प्रियदर्शन कुमार

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