नीतियां नहीं नियत ठीक करो

कोई जाकर पूछो उनसे
कैसे राजा हो तुम
हे राजन् !
तूने कैसी नीतियाँ बनायीं
प्रजा हो गई है भिखारी
क्या ऐसे ही दिन दिखाने को
राजा चुना था तुम्हें उन्होंने
प्रजा कर रही है त्राहिमाम
करोड़ों प्रजा भुखे हों
फूटपाथ पर सोते हों
शिक्षा स्वास्थ्य शुद्ध पेयजल
उन्हें  उपलब्ध नहीं
जिसकी परवाह तुम्हें नहीं
ऐसे कैसे तुम खामोश रह सकते
किस विकास का तुम दंभ भरते हो
जब प्रजा के चेहरे मुरझाए हों
लज्जा नहीं आती है तुम्हें
सिर्फ घोषणाएं नहीं
कार्यान्वयन भी करो उनका
बुल्लेट ट्रेन नहीं
उन्हें रोटी उपलब्ध करवाओ
200 फीट की मूर्ति नहीं
उन्हें स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाओ
डिजिटल इंडिया नहीं
उन्हें अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाओ
सिर्फ योजनाएं नहीं
शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाओ
कोई जाकर बोलो उनसे
नीतियां नहीं नियत ठीक करें अपने।
                        प्रियदर्शन कुमार

टिप्पणियाँ

हत्या कहूं या मृत्यु कहूं

हां साहब ! ये जिंदगी

ऐलै-ऐलै हो चुनाव क दिनमा

अलविदा 2019 !