माँ

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माँ तुम्हारे आँखों में आँसू
मुझसे देखा नहीं जाता
मैं बदकिस्मत हूँ कि तुम्हारे
आँसूओं को पोछ नहीं पाता
तुम दुनिया के आगे
कभी हार नहीं मानी पर
तुम्हें घर में हारते हुए
मुझे अच्छा नहीं लगता
न जाने तुम्हारे परवरिश में
क्या रह गई थी कमियां
जिसकी सजा तुम्हें
पाते हुए देखता हूँ
मुझ जैसा बेटा मिला तुमको जो
तुम्हारे द्रवित ह्रदय को
शांत भी न कर पाया
न जाने तुम्हारे दूध कब
पानी बनकर बह रहे हैं मेरे नसों में
कि तुम्हारे आँसूओं को देखकर भी
मेरी नसें नहीं फड़फाड़ाती हैं
माँ कभी ऐसे औलाद मत मांगना
कि तुम्हारी आँसूओं को पोछ पाने में
खुद को अक्षम पाता हो
तुम्हें सताता हो
तुम्हें रुलाता हो।
प्रियदर्शन कुमार

टिप्पणियाँ

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