खामोशियां भी कुछ कह रहीं हैं गर तुम समझ सको तो समझो।

खामोशियां भी कुछ कह रहीं हैं
गर तुम समझ सको तो समझो।

सबकुछ लफ्जों में बयाँ नहीं होते हैं
गर इशारों में समझ सको तो समझो।

हर तरफ पसरा हुआ है सन्नाटा
गर सन्नाटे को समझ सको तो समझो।

शहरों का मिजाज बदला-बदला सा है
गर खुद को बदल सको तो बदलो ।

हवाओं ने भी अपनी दिशा बदल ली है
गर अकेला आगे बढ़ सको तो बढ़ो ।

हर तरफ नफरतों का बोलबाला है
गर प्यार के फूल खिला सको तो बढ़ो।

हर तरफ खतरा ही खतरा है
गर आगे बढ़ सको तो बढ़ो।
प्रियदर्शन कुमार

टिप्पणियाँ

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