हमसफ़र

मुझे  तुम्हारी   सुरत  नहीं,   सीरत    चाहिए।
मुझे जो पलकों पर बिठाए, हमसाथी चाहिए।।

मुझे   तुम्हारा   धोखा   नहीं,  साथ   चाहिए।
मुझे  दर्द   देनेवाला   नहीं ,  हमदर्द   चाहिए।।

मुझे बहुतों से जख्म  मिला  है,  मरहम  चाहिए।
मुझे भी जिंदगी जीने के लिए,हमसफ़र चाहिए।।

मुझे तन्हा बैठना नहीं पसंद, बोलनेवाला चाहिए।
मुझे अब दुखों में जीना नहीं पसंद, खुशी चाहिए।।

मुझे बहुतों ने आजमाया है, आजमाना चाहिए।
मुझे भी अविश्वास में नहीं जीना,भरोसा चाहिए।।

मुझे दूसरों के पीछे नहीं भागना, स्थिरता चाहिए।
मुझे भी स्थिर होने के लिए, एक ठिकाना चाहिए।।

मुझे किसी की परवाह किए, आगे बढ़ना चाहिए।
मुझे अपने लिए मंजिल , खुद  तलाशना  चाहिए।।

                                            प्रियदर्शन कुमार

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