एक इमानदार आदमी

जन्म से
वह नहीं था झूठा
वह नहीं था बेईमान
और फरेबी
गरीबी की चोट
खाता रहा है वह हरदम
हर मुश्किलों का सामना
करता रहा है वह हरदम
अपनी ज़मीर
बचाए रखने की कोशिश में
न जाने क्या-क्या
नहीं किया वह
अभाव ने उसके
जीवन के समीकरण बदल दिए
उसमें बचपन से पहले
जवानी आ गई और
जवानी से पहले बुढ़ापा
उसके चेहरे की झुर्रियां 
दे रही थी उसकी गवाही
थक-हार गया वह
खत्म हो गई ऊर्जा
दुनिया से लड़ने की उसकी
आज कफन ओढ़ सो गया वह
लेकिन कभी नहीं झुका वह
हमारे सामने प्रश्न छोड़ गया वह
आज उसके नाम के कसीदे
पढ़ी जा रही है दुनिया में
जब तलक था वह जिंदा
मर-मर के जी रहा था
तब सो रही थी दुनिया
हां, वह कोई और नहीं
वह था एक ईमानदार आदमी।
                प्रियदर्शन कुमार

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