ऐ सियासत तुम्हारे खेल निराले हैं
ऐ सियासत तुम्हारे खेल निराले हैं /
जिसने तुमपे उंगलियां उठाई उसे मंत्री बना दिया /
जिसने आँख खोली उसे सदा के लिए सुला दिया /
जिसने तुम्हारे चौखटे पर मत्था टेके उसे लालकिला दे दिया /
जिसने बच्चियों के साथ दुष्कर्म किया, सजा देने की बजाय हिन्दू-मुस्लिम में उलझन उलझा दिया /
ऐ सियासत तुम्हारे खेल निराले हैं /
जिसने जो भी माँगा उसे कुछ-न-कुछ जरूर दे दिया /
किसी को गाय का ठेका दे दिया /
किसी को श्रीराम की रक्षा करने का ठेका दे दिया /
किसी को घर वापसी करने का ठेका दे दिया /
लेकिन किसी को निराश नहीं किया /
खाली हाथ नहीं लौटने दिया /
जिसकी आवाज तुम तक नहीं पहुंच पायी /
उसे मन की बात दे दिया /
ऐ सियासत तुम्हारे खेल निराले हैं /
जिसने जो भी माँगा दे दिया /
माल्या ने लंदन मांगा तो लंदन दे दिया /
नीरव-चौकसी ने विदेश में रहने की ईच्छा जाहिर की /
तो उसे तथास्तु का आशिर्वाद दे दिया /
जब सब की ईच्छाएं पूरी हो गई तो /
काशी में मंदिर तुड़वाना आरंभ कर दिया /
ऐ सियासत तुम्हारे खेल निराले हैं /
जिसने जो वरदान माँगा /
उसे स्वीकार कर लिया।
प्रियदर्शन कुमार
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें