प्रेम

सुरज में तपते देखकर /
धरा पर प्यार आया बादल को /
आ गया आँखों में आँसू /
बस क्या था /
बादल ने घेर लिया ज्वाला को /
अपने आँसूओं से उसने/
ताप से मुक्त किया धरा को /
बादल का समर्पण देखकर /
भावुक हो गई धरा बेचारी /
धरा के आँखों में खुशी के आँसू /
और चेहरे पर मुस्कान की छटा /
इन दोनों के निश्छल प्रेम से /
बेचारा सुरज भी शर्मा गया /
इस विहंगम दृश्य को देखकर /
पेड़-पौधे-फूल-पत्तियाँ /
नदी-झरना-पहाड़-पर्वत /
झूम उठी सारी प्रकृति।
        प्रियदर्शन कुमार

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