एक नयी सुबह

आज फिर एक नई सुबह /
एक नयी उमंग /
नये उम्मीदों के संग /
बढ़ चले हैं हम /
बिना अंजाम की परवाह किए /
आँखों में एक नये सपने लिए /
उसके पीछे भागते /
उठते गिरते खुद को सम्भालते /
थकते-रूकते /
और फिर से आगे बढ़ चलते /
हां साहब !
ये जिंदगी है /
ये कभी ठहरती नहीं है /
इसकी गति बहुत तीव्र होती है /
इसी के साथ चलने की कोशिश /
मंजिल तक पहुँचने की कोशिश में /
लगा हूँ मैं /
लगा है सारा जहां /
हां, हर एक नई सुबह /
एक नयी उमंग /
नये उम्मीदों के संग /
बढ़ चले हैं हम।
प्रियदर्शन कुमार

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हत्या कहूं या मृत्यु कहूं

हां साहब ! ये जिंदगी

ऐलै-ऐलै हो चुनाव क दिनमा

अलविदा 2019 !