हम-तुम
गजल (21/03/2017)
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वर्षों बाद मैं गजल लिख रहा हूँ
फर्क बस इतना है
तब तुम्हारे प्यार में लिखता था
अब तुम्हारे गम में लिख रहा हूँ।
आज फिर याद आ गए वो दिन
वो सारी बातें छा गए मन मंदिर पर।
अब बस इतनी-सी ख्वाहिश है मेरी
एक बार फिर लौट आए वे पुराने दिन
कि मिलकर एक हो जाएं हम
फिर उसी पेड़ की छांव में चले
जहां कभी घंटो बैठ कर
किया करते थे प्यार की बातें।
न जाने कितने पहर गुजर जाते
कि जिसका पता नहीं रहता था।
चलो सारे गिले-शिकवे भूल जाए
कि सारी दूरियां हम खत्म कर दें
और समा जाए एक-दूजे में।
प्रियदर्शन कुमार
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