रोज आती हो मेरे सपनों में
गजल (22/03/2017
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रोज आती हो तुम मेरे सपनों में
रोज करती हो तुम प्यार की बातें।
मैं भी सपनोँ को हकीकत मानकर
रोज खो जाता हूँ तेरे ख्यालों में।
मैं यहां तक भूल जाता हूँ
कि सपने तो सपने होते हैं।
मुझे खुशी है इस बात की
कि कम-से-कम रोज आती तो हो
तुम मेरे सपनों में।
खुशियों के चंद लम्हें
गुज़ार जाती हो तुम मेरे साथ सपनों में।
हरेक पल गमों में ही डुबा रहता हूँ मैं
बस तेरे बारे में सोचता रहता हूँ मैं।
रोज सोचता हूँ मैं
शायद यह सपना भी
कभी हकीकत बन जाए।
शायद कि हमेशा के लिए
लौटकर मेरे पास आ जाए तुम।
रोज आती हो तुम मेरे सपनों में
रोज करती हो तुम प्यार की बातें।
प्रियदर्शन कुमार
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