दिल और दिमाग

दिल और दिमाग (,29/03/2017)
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दिल और दिमाग
के बीच निरंतर जंग चलता रहता है
जो हमारी निर्णयन क्षमता
को प्रभावित करता है।
कभी दिल दिमाग पर भारी
तो कभी दिमाग दिल पर भारी पड़ता है।
जबकि वास्तविकता है कि
जिंदगी जीने के लिए
दोनों चीजों की आवश्यकता है
दिल और दिमाग के बीच सहसंबंध होना चाहिए
न तो दिल दिमाग का स्थान ले सकता है
और दिमाग दिल का ।
लोग इन्हीं दोनों के पेशोपेश में
फंसा पड़ा रहता है कि
कहां दिल से काम लिया जाए
कहां दिमाग से काम लिया जाए।
किसी भी संबंधों की
नैरंतर्य को बनाएं रखने
के लिए इन दोनों के बीच
सामंजस्य की आवश्यकता होती है।
इन दोनों के बीच तारम्यता का बिगड़ना
किसी भी काम के लिए या फिर
संबंधों के बीच तनाव
के लिए उत्तरदायी होता है।
              प्रियदर्शन कुमार

टिप्पणियाँ

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