मैं अन्नदाता हूं

मैं अन्नदाता हूं (23/03/2017)
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मैं अन्नदाता हूँ
वह अन्नदाता जो
देश के सभी लोगों के लिए
अनाज पैदा करता हूँ
सबका पेट भरता हूँ
कड़ाके की ठंड हो या
फिर चिलचिलाती धूप हो
एक नत होकर परिश्रम
करता रहता हूँ
ताकि किसी को भूखा न सोना पड़े
बदले में,
पारितोषिक के रूप में
मुझे मिलता है
आंखों में आंसू,
खुद का एवं परिवार का पेट
पालने में अक्षम होना
महाजनों का ऋण न चुका
पाने की स्थिति में उनसे गाली सुनना
और अंत में आत्महत्या के रास्ते
का चुनाव करने के लिए विवश होना।
                            प्रियदर्शन कुमार

टिप्पणियाँ

हत्या कहूं या मृत्यु कहूं

हां साहब ! ये जिंदगी

ऐलै-ऐलै हो चुनाव क दिनमा

अलविदा 2019 !