मुक्ति

मुक्ति (23/03/2017)
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भगत-सुखदेव-राजगुरु
आज फिर तुम्हारी जरूरत आ पड़ी
तब तुमने विदेशी आक्रांताओं
से देश को मुक्ति दिलाया था
आज तुम्हें ,
देश के आंतरिक आक्रांताओं से
मुक्ति दिलाना है।
हर वर्ष तुम्हारी पूण्यतिथि
तुम्हारे त्याग-तपस्या-बलिदान
से निर्जीव पड़ी जनता में
फिर से जान फूंकती है
कुछ कर गुजर जाने की
उसमें अहसास कराती
हमें झकझोरते हुए कहती है
अगर देश बचाना है तो
उठ खड़े हो और
समूल दुश्मनों का नाश करो
चाहे इसकी कीमत जो
तुम्हें चुकानी पड़े।
   प्रियदर्शन कुमार

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