आओ मिलकर दिया जलाएं

काव्य संख्या-150
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आओ मिलकर दीया जलाएँ
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आओ मिलकर दीया जलाएँ
अंधियारे को दूर भगाएँ
रौशन करें इस जग को
एक उज्ज्वल भविष्य
का सपना साकार करे
आओ मिलकर दीया जलाएँ ।

'स्व के संकीर्ण दायरे से
हम बाहर निकलकर
'पर' पर हम विचार करें
मनमुटाव को दूर कर
आओ मिलकर दीया जलाएँ ।

अंधकार में डूबी दुनिया को
आलोक से उन्हें आलोकित कर
खुशियों का संचार करें
प्यार के दीपक हर दिल में जलाएँ
आओ मिलकर दीया जलाएँ।

साम्प्रदायिकता का विरोध करें
शांति औ' सद्भाव की ओर बढ़े
ऊंच-नीच का भेद भूलाकर
मानवता का संदेश फैलाएँ
आओ मिलकर दीया जलाएँ।

चिंतन मनन अध्ययन कर
ज्ञान का प्रसार करें
अज्ञानता को जहान से मिटाने
एक नया कदम उठाएँ
आओ मिलकर दीया जलाएँ।

मानवीयता का प्रसार करें
सबका आदर औ' सम्मान करें
रूढ़ियों का त्याग कर
प्रगतशीलता की ओर कदम बढ़ाएँ
आओ मिलकर दीया जलाएँ।
               प्रियदर्शन कुमार

टिप्पणियाँ

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