ऐ जिन्दगी

ऐ जिंदगी
तू कदम-कदम पर
मेरा इंतिहा ले
तू कदम-कदम पर
मुझे असफल कर
तू लाख ठोकरें दे मुझे
मैं उठ खड़ा हो
फिर संघर्ष करूंगा
न मैं नियति के भरोसे बैठूंगा
न मैं नियति को कोसूंगा
न मैं अपनी अपनी हार का ठीकरा
दूसरोँ पर उतारुंगा,जो भी हो
लेकिन हार नहीं मानूंगा
रूकना नहीं
ठहरना नहीं
बस आगे बढ़ता जाना है
तूझे जो करना है कर
तू जमीन-आसमां एक कर
मैंने हारना नहीं सीखा
मैंने झुकना नहीं सीखा
मैंने गिरगिराना नहीं सीखा
मैंने हाथ फैलाना नहीं सीखा
जीत में कि हार में
जो होगा करूंगा
लेकिन तुम्हारे सामने
घुटने नहीं टेकूंगा
तूझे जो करना है कर
मैं लड़ूंगा
हर कदम पर लड़ूंगा
हर सांस तक लड़ूंगा।
     प्रियदर्शन कुमार

टिप्पणियाँ

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